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देश की होटल इंडस्ट्री एक बार फिर गुलजार हो गई है। मार्च में दो साल बाद ऑक्यूपेंसी 60% से ऊपर निकल गई और बाद के महीनों में कमरे इससे ज्यादा भरने की संभावना है। शादियों और छुटिट्यों के सीजन से इस इंडस्ट्री को सहारा मिल रहा है।एचवीएस एनारॉक की…
देश की होटल इंडस्ट्री एक बार फिर गुलजार हो गई है। मार्च में दो साल बाद ऑक्यूपेंसी 60% से ऊपर निकल गई और बाद के महीनों में कमरे इससे ज्यादा भरने की संभावना है। शादियों और छुटिट्यों के सीजन से इस इंडस्ट्री को सहारा मिल रहा है।
एचवीएस एनारॉक की एक रिपोर्ट के मुताबिक ओमिक्रॉन के असर से इस साल जनवरी में होटल इंडस्ट्री की ऑक्यूपेंसी 40% से नीचे चली गई थी, लेकिन फरवरी में ऑक्यूपेंसी 55% तक पहुंच गई थी। फिर मार्च में हालात ज्यादा बेहतर हुए और ऑक्यूपेंसी 61% पर पहुंच गई। मार्च 2020 के बाद यह पहला मौका है जब होटल इंडस्ट्री का बिजनेस इस लेवल पर पहुंचा है।
2020 के मुकाबले अब भी कमाई कम
ICICI सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट अधिदेव चट्टोपाध्याय के मुताबिक मार्च में होटलों का औसत प्रति कमरा किराया 5,500 रुपए रहा, जो फरवरी 2020 में प्रति कमरा किराये का 83% है। मार्च में होटलों की प्रति कमरा आय भी 3,355 रुपए रही, जो फरवरी 2020 में हो रही आय का 69% है।
होटल इंडस्ट्री में तेजी की वजह
- देश में कोविड के मामलों में कमी, पाबंदियां खत्म।
- वर्क फ्रॉम होम की जगह दफ्तरों से काम शुरू होना और इसके चलते मीटिंग-एसेंबली आदि होना।
- अंतरराष्ट्रीय फ्लाइटों की नियमित उड़ानें शुरू होने से विदेशी पर्यटकों की आवाजाही बढ़ना।
- कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से बड़े पैमाने पर टली शादियां होना।
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